जहाँ काँटेदार पेड़ होंगे वहाँ का माहौल हमेशा दूषित रहेगा ही।
2.
काँटेदार पेड़ पर लटकता बया का घोंसला कारीगरी और कलात्मकता का सबसे श्रेष्ठ नमूना है।
3.
जिन-जिन इलाकों में काँटेदार पेड़ विद्यमान हैं उन्हें साफ किया जाकर इस दोष से मुक्ति पायी जा सकती है।
4.
कभी-कभी बाजरे के खेत दिखाई दे जाते या फिर कहीं-कहीं पीले फूलों से लदे हुए बबूल के काँटेदार पेड़ दीख पड़ते।
5.
बबूल सरीखे काँटेदार पेड़ लगाना ठीक नहीं होता, क्योंकि इनके सूखे काँटे गिर गिर कर पैदल तथा सवारीवाले, सभी यात्रियों को कष्ट देते हैं।
6.
काँटेदार पेड़, सूखे फूल, मुरझाया गुलाब, टूटा दिल जैसे प्रोफाइल चित्र देखकर इनकी पहचान आसानी से की जा सकती है.
7.
अपने क्षेत्र में घर के आस-पास अथवा गाँव-कस्बे और शहर की कॉलोनियों व मोहल्लों में जिस अनुपात में काँटेदार पेड़ होंगे, उसी अनुपात में कलह का साम्राज्य पसरा हुआ होता है।
8.
परम्परागत प्रजातियों के छायादार, फलदार और फूलदार पेड़ों के मुकाबले जहाँ कहीं काँटेदार पेड़ ज्यादा होंगे, वहाँ कभी भी न तो शांति हो सकती है, न किसी को सुकून की प्राप्ति।
9.
इसके साथ ही जिस संख्या में काँटेदार पेड़ हों, उन्हें हटाकर उससे अधिक संख्या में फल-फूल और छायादार पेड़ों को लगा देने से पुराने सारे दोष समाप्त हो जाते हैं और वातावरण में शांति व आनंद का संचार हो जाता है।